Vol. 2 No. Issue: 3, May, pg. 1287-1314 (20 (2025): योगाभ्यास द्वारा विद्यालयी विद्यार्थियों में आत्मानुशासन और मानसिक संतुलन का विकास

					View Vol. 2 No. Issue: 3, May, pg. 1287-1314 (20 (2025): योगाभ्यास द्वारा विद्यालयी विद्यार्थियों में आत्मानुशासन और मानसिक संतुलन का विकास

सारांश 
यह शोध पत्र वद्यालयी वद्या थयों में योगाभ्यास के माध्यम से आत्मानुशासन और मान सक संतुलन 
के वकास का वश्लेषण करता है। वतमान समय में वद्या थयों को अनेक शै क्षक, सामािजक और 
मान सक चुनौ तयों का सामना करना पड़ता है। इन चुनौ तयों का सामना करने के लए आवश्यक है क 
उनके अंदर आत्मानुशासन और मान सक िस्थरता का वकास हो। योगाभ्यास, जो प्राचीन भारतीय 
परंपरा का एक अ भन्न अंग है, इन दोनों गुणों के वकास में प्रभावी सद्ध हो सकता है।  
यह अध्ययन वशेष रूप से यह देखने का प्रयास करता है क नय मत योग अभ्यास से वद्या थयों में 
आत्मानुशासन कैसे वक सत होता है और वे अपने मान सक और शारी रक स्वास्थ्य को कैसे सुदृढ़ कर 
सकते हैं। अध्ययन में वद्यालय स्तर पर व भन्न आयु वग के वद्या थयों पर योग के प्रभाव का 
परीक्षण कया गया है। अध्ययन के दौरान, योग के अभ्यास से वद्या थयों में स्व-अनुशासन, धैय, 
आत्म- नयंत्रण, मान सक िस्थरता, तनाव एवं चंता में कमी, ध्यान कें त करने की क्षमता, और 
सकारात्मक मान सकता जैसे लक्षणों में सुधार पाया गया है।  
इसके अत रक्त, यह शोध शक्षकों और अ भभावकों के लए भी मागदशन प्रदान करता है क कैसे योग 
को शै क्षक कायक्रमों में शा मल करके वद्या थयों के शारी रक एवं मान सक वकास को प्रोत्सा हत 
कया जा सकता है। इस अध्ययन के नष्कष यह स्पष्ट करते हैं क योगाभ्यास न केवल वद्या थयों के 
शारी रक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बिल्क उनके व्यिक्तत्व का समग्र वकास भी करता है, िजससे वे 
जीवन में अ धक अनुशा सत, आत्म वश्वासी और मान सक रूप से िस्थर बनते हैं। 
मूल शब्द- योगाभ्यास, आत्मानुशासन, मान सक संतुलन, वद्यालयी वद्याथ, मान सक स्वास्थ्य 

Published: 2025-09-26